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Sahaj Samadhi Bhali, Bhag - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)
Osho
(Autor)
·
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
· Tapa Blanda
Sahaj Samadhi Bhali, Bhag - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2) - Osho
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Reseña del libro "Sahaj Samadhi Bhali, Bhag - 2 (सहज समाधि भली, भाग - 2)"
धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो भी वे बोलते हैं, वह धर्म नहीं है। वह धर्म तक पहुंचने का सिर्फ इशारा मात्र है, इंगित मात्र है। वे मील के पत्थर हैं, जिन पर तीर बना होता है। लेकिन मील के पत्थर को कोई मंजिल समझ कर बैठ जाए, तो पागल हो जाएगा। पर बहुत लोग बैठ गए हैं। गीता के पास जो बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। कुरान पर जो सिर टेके बैठे हैं, वे मील के पत्थर के पास बैठे हैं। उन्होंने मील के पत्थर पर लगे तीर को मंजिल समझ लिया है, फिर वे वहीं रुक गए हैं।ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु * ध्यान का क्या अर्थ है?* प्रार्थना और ध्यान में क्या अंतर है?* प्रामाणिकता का क्या अर्थ है?* मन क्या है?* 'सहज' की पहचान क्या है?