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Kabir ke Dohe (? )
Swami Kulshresth Anand
(Autor)
·
Diamond Pocket Books Pvt Ltd
· Tapa Blanda
Kabir ke Dohe (? ) - Anand, Swami Kulshresth
Sin Stock
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Reseña del libro "Kabir ke Dohe (? )"
कबीर ने हिन्दी साहित्य को निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधर दिया। उनकी रचनाएं यथार्थवादी घटनाओं को ध्यान में रखकर रची गई हैं। इसलिए पाठक उनकी रचनाओं के साथ जुड़ जाता है। यही वजह है कि कबीर की रचनाओं में आदर्श और यथार्थ का गंगा-जमुनी संगम है।इस पुस्तक में उनके उन दोहो का संकलन किया गया है, जिन्होंने उन्हें एक महान् और सिद्ध संत के पद पर लाकर प्रतिष्ठित किया है। अपने स्नेह, त्याग, निस्पृहता और अपनी आध्यात्मिक शक्ति का सहारा लेकर कबीर ने हिन्दू-मुस्लिम सदभाव का जो बिगुल फूंका, वह अदभुत है। हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का एक ऐसा दीप प्रज्ज्वलित किया, जिसका प्रकाश आज भी मानव जाति का पथ-प्रदर्शन कर रहा है।उनकी कालजयी रचनाओं का यह संकलन 'कबीर के दोहे' के रूप में उन्हीं ज्ञान के भंडार व शिक्षाओं को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है, जिससे कि सामान्यजन भी उन्हें पढ़-सुनकर अपने जीवन को संवार सकें।
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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