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portada Brahmavaivart Purana (ब्रह्मवैवर्त पुर )
Formato
Libro Físico
Editorial
Idioma
Hindi
N° páginas
162
Encuadernación
Tapa Blanda
Dimensiones
21.6 x 14.0 x 0.9 cm
Peso
0.21 kg.
ISBN13
9788128807268

Brahmavaivart Purana (ब्रह्मवैवर्त पुर )

Dr Vinay (Autor) · Diamond Books · Tapa Blanda

Brahmavaivart Purana (ब्रह्मवैवर्त पुर ) - Dr Vinay

Sin Stock

Reseña del libro "Brahmavaivart Purana (ब्रह्मवैवर्त पुर )"

भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि हैं। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केन्द्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं। आज के निरन्तर द्वन्द्व के युग में पुराणों का पठन मनुष्य को उस द्वन्द्व से मुक्ति दिलाने में एक निश्चित दिशा दे सकता है और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को सामने रख कर पाठकों की रूचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में पुराण साहित्य की शृंखला में यह पुस्तक प्रस्तुत है।

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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.

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