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Palmistry Ke Anubhut Prayog - Part-3 (पामिस्ट्री के अनुê
Dayanand Verma
(Autor)
·
Nisha Ghai
(Autor)
·
Diamond Books
· Tapa Blanda
Palmistry Ke Anubhut Prayog - Part-3 (पामिस्ट्री के अनुê - Verma, Dayanand ; Ghai, Nisha
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Reseña del libro "Palmistry Ke Anubhut Prayog - Part-3 (पामिस्ट्री के अनुê"
निर्धनता और धन का संबंध परिसंपत्ति (Assets) देनदारी (Liability) की मात्रा के अंतर से भी होता है, आय और व्यय के अंतर से भी होता है। व्यक्ति की हजार रुपये मासिक आय हो किंतु खर्च नौ सौ रुपये हो, वह धनी है। इसके विपरीत जिसकी आय लाख रुपये मासिक हो और खर्च सवा लाख हो, वह निर्धन है।बड़े व्यापार में कर्ज लेना सामान्य बात है। व्यक्ति पर देनदारी की जितनी मात्रा है, उससे अधिक परिसंपत्ति है, तो भी हाथ के लक्षण धनी बताएंगे। नकदी का प्रवाह रुकने से उन्हें अस्थाई परेशानी हो सकती है अथवा एक ओर का प्रवाह रोककर दूसरी ओर व्यय करने से कष्ट भी हो सकता है, किंतु यह अस्थाई स्थिति सुधर जाती है, जबकि परिसंपत्ति देयता से अधिक हो। उपाय का समय उस परेशानी की अवस्था में तनाव दूर करने में सहायक होता है।पामिस्ट्री गुरू दयानंद वर्मा और उनकी पुत्री निशा घई को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। इंस्टीट्यूट ऑफ पामिस्ट्री के संस्थापक दयानंद वर्मा का नाम विश्व में हस्तरेखा विशेषज्ञों में बड़े सम्मान से लिया जाता है। वर्षों की उनकी शोध ने पामिस्ट्री में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जिस प्रकार ब्लड टेस्ट आदि देखकर एक विशेषज्ञ शरीर के भीतरी अंगों की क्रियाओं को समझ सकता है, उसी प्
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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